द इंटेलिजेंट इनवेस्टर

यह पुस्तक क्या हासिल करने की उम्मीद जगाती है

इस पुस्तक का उद्देश्य आम आदमी को किसी विशेष निवेश-नीति को अपनाने और पालन करने के लिए आसानी से समझी जाने वाली सरल भाषा में मार्गदर्शन प्रदान करना है। ‘सिक्योरिटीज़ के विश्लेषण करने की तकनीक’ और  ‘निवेश के सिद्धान्तों एवं निवेशकों के रवय्यों’ के बारे में तुलना की जाए तो इस पुस्तक में ‘सिक्योरिटीज़ के विश्लेषण करने की तकनीक’ के बारे में कम ही बात की जायेगी; यद्यपि मुख्य रूप से ‘निवेश के सिद्धान्तों एवं निवेशकों के रवय्यों’ पर ज़्यादा चर्चा की जायेगी। हालाँकि, हम कॉमन स्टॉक्स के चयन में शामिल महत्वपूर्ण तत्वों को समझने के लिए कुछ विशिष्ट सिक्योरिटीज़ की संक्षिप्त तुलना भी करेंगे –मुख्य रूप से उन सिक्योरिटीज़ की तुलना की जायेगी जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज सूची में कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ नज़र आते हैं।

लेकिन हमारा अधिकांश समय वित्तीय बाज़ारों के ऐतिहासिक पैटर्न को समर्पित होगा, और कुछ मामलों में हम कई दशक पीछे तक भी खंगालेंगे। सिक्योरिटीज़ में बुद्धिमानी से निवेश करने के लिए हमारे पास इस बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए कि बदलती परिस्थितयों में विभिन्न प्रकार के बॉन्ड्स और स्टॉक्स ने वास्तव में कैसा व्यवहार किया – क्योंकि हो सकता है कि उनमें से ही कुछ या कम से कम किसी एक परिस्थिति का हमें दोबारा सामना करना पड़े। वॉल स्ट्रीट के लिए जॉर्ज संतयाना (George Santayana) की प्रसिद्ध चेतावनी से अलग कोई और बात ज़्यादा सच्ची और उपयुक्त नहीं लगती है जब उन्होंने कहा कि: “जो लोग अतीत को भुला देते हैं, ऐसे लोगों की निंदा ज़रूर की जाती है क्योंकि वे अतीत में की जाने वाली ग़लतियों को दोहरा देते हैं”

सट्टेबाज़ों से अलग यह पुस्तक निवेशकों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर लिखी गयी है, और हमारा पहला काम ही इसी बिंदु को स्पष्ट करना और इसके महत्व को उजागर करना है, क्योंकि वर्तमान में लोग इसी अंतर को भुला चुके हैं। हम शुरुआत में ही यह बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह वह पुस्तक नहीं है जो आपको यह बताये कि “लाखों या करोड़ों रूपये कैसे कमायें”।

वॉल स्ट्रीट पर या कहीं और, अमीर बनने के बिलकुल आसान और पुख़्ता तरीक़े नहीं हो सकते हैं। हम यह बात यहाँ क्यूँ कह रहे हैं इसको और अच्छी तरह से समझने के लिए हमें वित्तीय इतिहास पर एक नज़र डालनी पड़ेगी, क्योंकि हमारे हौसलों को बुलंद करने के लिए वित्तीय इतिहास के अध्ययन से हमें कई महत्पूर्ण बातें सीखने को मिल जायेंगी। वर्ष 1929 में वॉल स्ट्रीट की मशहूर शख़्सियत जॉन जे. रस्कॉब (John J. Raskob) ने लेडीज़’ होम जर्नल में पूंजीवाद की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए “एवेरीबॉडी ऑट टू बी रिच” (अनुवाद: ‘हर व्यक्ति को अमीर होना ही चाहिए’) शीर्षक पर एक रोचक लेख लिखा। उनका मानना था कि यदि कोई व्यक्ति प्रति माह मात्र 15 डॉलर की बचत करके उन्हें अच्छे कॉमन स्टॉक्स में निवेश करे और उस पर मिलने वाले डिविडेंड यानी लाभांश को भी पुनर्निवेश करे, तो उस व्यक्ति द्वारा अगले बीस वर्षों में किये गये केवल 3,600 डॉलर के निवेश की तुलना में वह कुल 80,000 डॉलर के साम्राज्य का मालिक बन जाएगा। यदि जनरल मोटर्स का टाइकून रस्कॉब सही था तो यह वास्तव में अमीर बनने का बहुत सरल रास्ता था। पर वह कितना सही था? इसका मोटा-मोटा हिसाब लगाया जाए तो हमारे अनुमान के अनुसार यदि किसी निवेशक ने रस्कॉब द्वारा बताये गए तरीके से 1929-1948 के मध्य डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (डीजेआईए) के 30 शेयरों में निवेश किया होता, तो 1949 की शुरुआत में उस निवेशक की पूंजी लगभग 8,500 डॉलर ही होती। यह रस्कॉब के 80,000 डॉलर के वादे से कोसों दूर है, साथ ही यह दर्शाता है कि इस तरह के आशावादी पूर्वानुमानों और आश्वासनों पर कितना कम भरोसा किया जा सकता है। लेकिन, दूसरी तरफ इसे देखा जाए तो बीस वर्षीय इस निवेश-योजना द्वारा प्राप्त रिटर्न यानी लाभ 8% प्रतिवर्ष की दर से मिलने वाले कम्पाउंड इंटरेस्ट यानी चक्रवृद्धि ब्याज़ से बेहतर होता- और यह इस तथ्य के बावजूद होता, जबकि निवेशक ने ख़रीदी की शुरूआत उस समय की थी जब डीजेआईए 300 के स्तर पर था और इस निवेश की समाप्ति 1948 के 177 के क्लोज़िग लेवल पर हुई हो। अत: मज़बूत कॉमन स्टॉक्स में ख़राब स्थितियों में भी नियमित रूप से मासिक निवेश करने के सिद्धांत को एक ठोस तर्क कहा जा सकता है- इस प्रोग्राम को “डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग” के नाम से जाना जाता है।

आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।